भारत इंफो : हांगकांग के ताई पो जिले में बुधवार रात वांग फुक कोर्ट आवासीय कॉम्प्लेक्स में हुए एक भयावह अग्निकांड ने पूरे शहर को हिला कर रख दिया है। इस भीषण हादसे में अब तक 44 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें से 40 लोगों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। प्रशासन के लिए चिंता की बात यह है कि अभी भी 279 लोग लापता बताए जा रहे हैं। बचाव दल पूरी रात और सुबह तक ऊंची इमारतों से लोगों को सुरक्षित निकालने की जद्दोजहद में जुटा रहा।
बांस की मचान और तेज हवा से फैली तबाही
यह आग 35 मंजिला आठ इमारतों वाले कॉम्प्लेक्स में लगी। नवीनीकरण (Renovation) के काम के चलते वांग फुक कोर्ट के टॉवर बांस की मचान (Scaffolding) से ढंके हुए थे। आग की शुरुआत 32वीं मंजिल की बाहरी मचान से हुई। तेज हवाओं और जलते हुए मलबे के कारण लपटें देखते ही देखते एक इमारत से दूसरी इमारत तक फैल गईं, जिससे पूरे कॉम्प्लेक्स में अफरा-तफरी मच गई।
लापरवाही का आरोप और गिरफ्तारियां
पुलिस ने इस मामले में भारी लापरवाही बरतने के आरोप में निर्माण कंपनी के तीन अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। अधिकारियों के अनुसार, इन पर गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया जा सकता है। पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि लिफ्ट लॉबी के पास हर मंजिल पर स्टायरोफोम जैसी बेहद ज्वलनशील सामग्री रखी गई थी। वरिष्ठ अधिकारी ईलीन चुंग ने इसे “गंभीर लापरवाही” करार दिया है। शक है कि बाहरी दीवारों पर लगी कमजोर आग-प्रतिरोधक सामग्री ने भी आग को भड़काने में भूमिका निभाई।
राष्ट्रपति ने जताया शोक, चुनाव प्रचार रोका
इस त्रासदी पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने गहरा दुख व्यक्त किया है और एक फायरफाइटर की मौत पर शोक जताया है। हांगकांग के चीफ एग्जीक्यूटिव जॉन ली ने कहा है कि सरकार इस हादसे से निपटने को सर्वोच्च प्राथमिकता देगी। इसके चलते 7 दिसंबर को होने वाले विधान परिषद चुनावों के प्रचार अभियान को भी रोक दिया गया है।
दशकों का सबसे घातक हादसा
यह आग हांगकांग के इतिहास में पिछले कई दशकों की सबसे घातक घटनाओं में से एक मानी जा रही है। इससे पहले 1996 में कोवलून की एक व्यावसायिक इमारत में लगी आग में 41 लोगों की जान गई थी। मौजूदा हादसे में 62 लोग घायल हैं, जिन्हें धुएं और जलने के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
राहत और बचाव कार्य
लगभग 4,800 लोगों की आबादी वाले इस कॉम्प्लेक्स से 900 लोगों को निकालकर अस्थायी आश्रयों (Shelters) में भेजा गया है। सैकड़ों फायरफाइटर्स, पुलिसकर्मी और पैरामेडिक्स की टीमें अभी भी राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं, लेकिन कंस्ट्रक्शन नेट और मचान के कारण उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।