भारत इंफो : देश के विमानन क्षेत्र में यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को सुनिश्चित करने के लिए एक ऐतिहासिक और सख्त कदम उठाया गया है। तकनीकी खामियों की निगरानी के लिए डीजीसीए (DGCA) ने पुराने ढांचे को पूरी तरह बदलते हुए डिफेक्ट रिपोर्टिंग सिस्टम को तत्काल प्रभाव से बेहद सख्त कर दिया है। उड़ानों में लगातार हो रही देरी, उड़ानों का रद्द होना और हाल ही में सामने आई सुरक्षा संबंधी घटनाओं को देखते हुए नियामक ने यह कड़ा फैसला लिया है, ताकि एयरलाइंस की जवाबदेही तय की जा सके।
डीजीसीए द्वारा जारी किए गए 12 पन्नों के नए आदेश के मुताबिक, अब तकनीकी खराबी के कारण उड़ान में होने वाली छोटी से छोटी देरी को भी गंभीरता से लिया जाएगा। नए नियमों के अनुसार, यदि किसी निर्धारित उड़ान में तकनीकी वजह से 15 मिनट या उससे अधिक की देरी होती है, तो उसकी अनिवार्य रूप से जांच की जाएगी।
एयरलाइन कंपनियों को डीजीसीए को स्पष्ट करना होगा कि देरी क्यों हुई, उस तकनीकी खामी को कैसे ठीक किया गया और भविष्य में ऐसी घटना दोबारा न हो, इसके लिए क्या ठोस उपाय किए गए हैं। ये ऐसे कड़े प्रावधान हैं जो इससे पहले विमानन नियमों में लागू नहीं थे।
नए दिशा-निर्देशों में खामियों की रिपोर्टिंग को लेकर भी तत्परता दिखाई गई है। अब एयरलाइंस को किसी भी ‘मेजर डिफेक्ट’ यानी बड़ी तकनीकी खराबी की सूचना तुरंत फोन के माध्यम से डीजीसीए को देनी होगी और 72 घंटे के भीतर उसकी विस्तृत रिपोर्ट सौंपनी होगी।
इसके अलावा, यदि कोई तकनीकी खराबी तीन बार दोहराई जाती है, तो उसे ‘रिपीटेटिव डिफेक्ट’ की श्रेणी में रखा जाएगा। ऐसी स्थिति में उस विमान और खामी पर अलग से विशेष जांच प्रक्रिया शुरू की जाएगी, ताकि समस्या की जड़ तक पहुंचा जा सके।
डीजीसीए ने यह सख्ती इसलिए लागू की है क्योंकि अब तक की डिफेक्ट रिपोर्टिंग व्यवस्था काफी कमजोर साबित हो रही थी। पुरानी व्यवस्था में 15 मिनट जैसी मामूली देरी की जांच के लिए कोई प्रावधान नहीं था और न ही बार-बार आने वाली खराबियों (रिपीट डिफेक्ट) की कोई स्पष्ट परिभाषा तय थी। इन नए और स्पष्ट नियमों के लागू होने से उम्मीद है कि एयरलाइंस तकनीकी रखरखाव के प्रति अधिक सतर्क रहेंगी और यात्रियों को सुरक्षित व समयबद्ध हवाई सफर का लाभ मिल सकेगा।