भारत इंफो : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को पंजाब के सरकारी स्कूलों में आधारभूत सुविधाओं की कमी को लेकर सख्त रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि आखिर क्यों अब तक बच्चों को स्कूलों में शुद्ध पानी, शौचालय, फर्नीचर और सुरक्षित भवन जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं दी गईं।
कोर्ट ने कहा- “दावे बड़े, हालात चिंताजनक”
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि यह बेहद चिंताजनक स्थिति है कि सरकारें शिक्षा के क्षेत्र में बड़े-बड़े दावे करती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात इसके उलट हैं। कोर्ट ने टिप्पणी की कि जब तक स्कूलों में बच्चों के लिए न्यूनतम सुविधाएं नहीं होंगी, तब तक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार संभव नहीं है।
राज्य सरकार से मांगी विस्तृत रिपोर्ट
हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को चार हफ्तों के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। इसमें यह बताया जाना होगा कि राज्य के कितने सरकारी स्कूलों में पीने के पानी, बिजली, शौचालय, कंप्यूटर लैब और सुरक्षा जैसी सुविधाओं की कमी है।
न्यायाधीश एन. एस. शेखावत की सख्त टिप्पणी
जस्टिस एन. एस. शेखावत की अध्यक्षता वाली बेंच ने शिक्षा विभाग की निष्क्रियता पर कड़ी टिप्पणी की। बेंच ने कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार के लिए छोटी उम्र के बच्चों की शिक्षा प्राथमिकता नहीं है।” कोर्ट ने शिक्षा विभाग के सचिव को सू मोटो रूप से मामला लेने और सभी स्कूलों में कमियों और स्टाफ की स्थिति की विस्तृत सूची तैयार करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने जिन बिंदुओं पर मांगी जानकारी
- जिन स्कूलों में पांच या उससे कम कमरे हैं।
- जिन स्कूलों में नियमित प्रिंसिपल या हेडमास्टर नहीं हैं।
- जिनमें पांच से कम शिक्षक तैनात हैं।
- जहां लड़कों और लड़कियों के लिए अलग शौचालय नहीं हैं।
- जिन स्कूलों में 50 से कम विद्यार्थी नामांकित हैं।
- जिनमें स्वच्छ पीने का पानी, स्वीपर और खेल का मैदान नहीं है।
अगली सुनवाई में तय होगा आगे का कदम
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पंजाब सरकार की ओर से पेश की जाने वाली रिपोर्ट के आधार पर यह तय किया जाएगा कि कोर्ट इस मामले में आगे क्या कदम उठाएगी। फिलहाल कोर्ट ने राज्य को चेतावनी दी है कि वह शिक्षा के बुनियादी ढांचे की जिम्मेदारी से मुंह न मोड़े।