हरियाणा के सीनियर आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार के पोस्टमॉर्टम को लेकर चंडीगढ़ में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। डॉक्टरों, फोरेंसिक विशेषज्ञों और वीडियोग्राफी टीम के चंडीगढ़ पीजीआई पहुंचने के बावजूद परिवार का कोई भी सदस्य पोस्टमॉर्टम के लिए तैयार नहीं है।
परिवार ने डीजीपी की गिरफ्तारी की मांग की
पूरन कुमार के परिवार और अनुसूचित समाज के प्रतिनिधियों ने एक 31 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। कमेटी का स्पष्ट कहना है कि जब तक हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर और पूर्व रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारणिया को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक वे पोस्टमॉर्टम नहीं करवाएंगे। इस मामले को लेकर कल (रविवार) दोपहर 2 बजे चंडीगढ़ के सेक्टर-20 स्थित गुरु रविदास गुरुद्वारे में एक ‘महापंचायत’ बुलाई गई है।
जबरन डेडबॉडी शिफ्ट करने का आरोप
शनिवार सुबह पूरन कुमार के पार्थिव शरीर को चंडीगढ़ के सेक्टर-16 सरकारी अस्पताल से पीजीआई शिफ्ट किया गया था। परिवार ने इस पर कड़ा विरोध जताते हुए आरोप लगाया कि उनकी मर्जी के खिलाफ डेडबॉडी को जबरदस्ती पीजीआई ले जाया गया।
पुलिस पोस्टामार्टम के लिए परिवार का इंतजार कर रही
चंडीगढ़ की एसएसपी कंवरदीप कौर ने कहा है कि पुलिस परिवार की सहमति का इंतजार कर रही है, जिसके बाद ही पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इस बीच परिवार ने नामजद किए गए रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारणिया को उनके पद से हटा दिया गया है। उनकी जगह आईपीएस अधिकारी सुरेंद्र सिंह भौरिया को नया एसपी नियुक्त किया गया है। बिजारणिया को फिलहाल कोई नई पोस्टिंग नहीं दी गई है।
पत्नी ने दोनों अधिकारियों की मांग की
दिवंगत आईपीएस अधिकारी पूरन कुमार की पत्नी और आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार ने मांग की है कि डीजीपी शत्रुजीत कपूर और एसपी नरेंद्र बिजारणिया को न सिर्फ उनके पदों से हटाया जाए, बल्कि उन्हें गिरफ्तार भी किया जाए। उन्होंने आरोप लगाया है कि इन्हीं दोनों अधिकारियों ने पूरन कुमार को एक झूठे भ्रष्टाचार केस में फंसाया था। हालांकि सरकार ने एसपी पर तो कार्रवाई कर दी है, लेकिन डीजीपी कपूर के मामले में अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।