भारत इंफो : पंजाब सरकार ने तरनतारन में एक रैली का आयोजन किया। इस दौरान मूसा गांव में कुछ लोगों ने आपसी विवाद के चलते पथराव और गोलियां चलाईं, जिसमें मोगा डिपो के ड्राइवर और कंडक्टर बाल-बाल बच गए और दो गोलियां सरकारी बस, पनबस मोगा डिपो 7369 को लगीं।
पंजाब रोडवेज़ पनबस पीआरटीसी कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष रेशम सिंह गिल ने बताया कि सरकार ने रैली में पूरे पंजाब से बड़े पैमाने पर सरकारी बसों का इस्तेमाल किया है। ऐसा कई बार हो चुका है। मौजूदा सरकार लंबे समय से बसों का नाजायज़ दुरुपयोग कर रही है।
उन्होंने आगे कहा कि हम लंबे समय से सरकार की रैलियों का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि सरकार कच्चे कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने में यूनियन की मांगों को टाल रही है और जब कच्चे कर्मचारी मांगों के खिलाफ कोई संघर्ष करते हैं। तो उसका समाधान करने की बजाय यूनियन को बदनाम करने की कोशिश करते हैं।
पनबस और पीआरटीसी के कच्चे कर्मचारी हर समय पंजाब की जनता के लिए कुर्बान रहते हैं, लेकिन किसी भी दुर्घटना होने पर कच्चे कर्मचारियों को कोई मुआवज़ा या लाभ नहीं मिलता। कच्चे कर्मचारी बाढ़, युद्ध की स्थिति में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाते हैं या कोरोना महामारी के दौरान अपनी ड्यूटी निभाते हैं।
लेकिन अफ़सोस की बात है कि इस समय जब किसी व्यक्ति की ड्यूटी के दौरान मृत्यु हो जाती है, तो उनके साथ अनाथों जैसा व्यवहार किया जाता है। इन बेचारे कर्मचारियों को कोई सुविधा नहीं है। उनकी मांगों के लिए संघर्ष करने और उन्हें हल करने के बजाय, सरकार उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रही है।
महासचिव शमशेर सिंह ढिल्लों ने बताया कि आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को रैली में लाने के लिए अलग-अलग डिपो से बसें लगाई गई थीं, जिससे पंजाब के आम लोगों को सरकारी बसों के परिवहन की सुविधा नहीं मिली। ऐसी रैलियों के कारण सरकारी बसों को तीन दिन का नुकसान होता है, जिससे लोगों को शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है।
दूसरी तरफ कर्मचारियों को न केवल अपने वेतन के लिए बल्कि हर महीने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। सरकार द्वारा नई बसें उपलब्ध कराने की बजाय, जो बसें चल रही हैं, उन्हें भी अपनी मौजूदगी में चलाया जा रहा है। परिवहन विभाग के हालात दिन-प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं। कच्चे कर्मचारी बसें दिलाने और स्थायी रोजगार सहित अपनी मांगों को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे हैं।
प्रदेश सीएम उपाध्यक्ष हरकेश कुमार विक्की सरकार कच्चे कर्मचारियों को कोई लाभ नहीं दे रही है और कच्चे कर्मचारी भी संघर्ष कर रहे हैं। आज की घटना से स्पष्ट है कि कर्मचारियों को सरकार की राजनीतिक रैलियों में भेजना प्रबंधन की मजबूरी हो सकती है, जिससे बिना रूट ड्यूटी के लोगों की जान जा सकती है और विभाग को नुकसान हो सकता है।