भारत इंफो : जिस जमीन को उन्होंने तीन दशक से अधिक समय तक अपना घर माना, वहां से जंजीरों में बांधकर भारत भेजे जाने के बाद पंजाब मूल की 72 साल की बुजुर्ग महिला हरजीत कौर का दर्द छलक उठा है। 24 सितंबर को अमेरिका से डिपोर्ट होकर मोहाली अपनी बहन के घर पहुंची हरजीत कौर ने गिरफ्तारी से लेकर डिपोर्टेशन तक के दौरान हुए अमानवीय व्यवहार की रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी सुनाई है।
हाजिरी लगाने गईं और बन गईं ‘अपराधी’
भावुक होते हुए हरजीत कौर ने बताया कि उन्हें हर छह महीने में अमेरिका के कार्यालय में हाजिरी लगानी पड़ती थी, क्योंकि उनके पास पासपोर्ट नहीं था। उन्होंने बताया कि जब वह तय तारीख पर हाजिरी लगाने पहुँची, तो उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया। मेरे पास पासपोर्ट नहीं था, इसलिए मैं हर 6 महीने में हाजिरी लगाने जाती थी… उस दिन मैं हाजिरी लगाने पहुँची, और तभी मुझे गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के तुरंत बाद, जो बर्ताव उनके साथ हुआ, उसने उन्हें झकझोर दिया।
ठंडी कोठरी में अमानवीय व्यवहार
हरजीत कौर ने बताया कि गिरफ्तारी के तुरंत बाद उन्हें एक ठंडे कमरे में बंद कर दिया गया, जहां बहुत ज़्यादा सर्दी थी। जब उन्होंने सर्दी से बचने के लिए ओढ़ने को कुछ मांगा, तो उन्हें एल्यूमीनियम फॉइल का एक टुकड़ा दे दिया गया। उन्होंने बताया कि वह शीशे में से आवाजें लगाती रहीं, लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी।
10 दिन डिटेंशन सेल की यातना
बुजुर्ग महिला को अगले दिन हथकड़ी और बेड़ियां लगाकर बेक्सविड (एरिजोना) ले जाया गया, जहां उन्हें 10 दिन तक रखा गया। उन्होंने बताया कि इस दौरान उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे वह कोई खतरनाक अपराधी हैं। मुझे हथकड़ी और बेड़ियां लगाकर गाड़ी में बैठाया गया… मुझे कुछ नहीं बताया जा रहा था कि मेरे साथ क्या हो रहा है। 10 दिन अलग-अलग डिटेंशन सेल में काफी यातनाओं का सामना करना पड़ा। मुझे लगा जैसे मैं कोई अपराधी हूं।
खाने में ठंडी ब्रेड और सोने के लिए फट्टा
हरजीत कौर ने डिटेंशन सेल में अपने खान-पान और सोने की स्थिति के बारे में बताते हुए कहा कि उन्हें सोने के लिए छोटे से फट्टे का बेड दिया गया था, जिस पर उन्होंने 10 दिन गुजारे। खाने को लेकर भी उन्हें मुश्किल हुई। उन्हें चीज़ लगी ठंडी ब्रेड और बीफ दिया जाता था, जिसे वह खा नहीं सकती थीं। 10 दिन तक उन्होंने केवल चिप्स, दो बिस्किट और पानी पर ही गुजारा किया।
डिपोर्टेशन के लिए प्लेन में बैठने पर खुली जंजीरें
10 दिन बाद, उन्हें भारत डिपोर्ट किया गया। उन्होंने बताया कि उनके पैरों में बेड़ियां और हाथों में हथकड़ियां लगी हुई थीं। ये जंजीरें तब खोली गईं, जब उन्हें प्लेन में बिठाया गया। 24 सितंबर को वह भारत पहुंची, जहाँ वह अब मोहाली में अपनी बहन के घर पर रह रही हैं।